इस बदलते मौसम सेहत संबंधी तमाम समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। खासकर इस दौरान सर्दी-खांसी, जुकाम जैसी समस्याएं बेहद आम हो जाती हैं। इतना ही नहीं डायबिटीज सहित कई ऐसे लाइफस्टाइल डिसऑर्डर हैं जिनके मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में आयुर्वेद आपकी मदद कर सकता है। आयुर्वेद में कई ऐसी औषधि है, जो आपकी सेहत के लिए कमाल कर सकती है उन्ही में से एक है, “अर्जुन की छाल”। इसे एक औषधीय पौधे से प्राप्त किया जाता है, इसका इस्तेमाल तमाम स्वास्थ्य समस्यायों में कारगर हो सकता है।
अर्जुन प्रकृति से शीतल, हृदय के लिए हितकारी, कसैला; छोटे-मोटे कटने-छिलने पर, विष, रक्त संबंधी रोग, मेद या मोटापा, प्रमेह या डायबिटीज, व्रण या अल्सर, कफ तथा पित्त कम होता है। अर्जुन से हृदय की मांसपेशियों को बल मिलता है, हृदय की पोषण-क्रिया अच्छी होती है। मांसपेशियों को बल मिलने से हृदय की धड़कन ठीक और सबल होती है। सूक्ष्म रक्तवाहिनियों का संकोच होता है, इस प्रकार इससे हृदय सशक्त और उत्तेजित होता है। इससे रक्त वाहिनियों के द्वारा होने वाले रक्त का स्राव भी कम होता है, जिससे सूजन कम होती है।
अर्जुन की छाल के फायदे
- सर्दी-खांसी जैसे संक्रमण में कारगर है
- पाचन शक्ति को बढ़ावा दे
- पिंपल्स को कम करे
- डायबिटीज कंट्रोल करे
- हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा दे
- पेट की गैस ऊपर आने में करे मदद अर्जुन
- रक्तातिसार या पेचिश से दिलाये राहत अर्जुन
- शुक्रमेह में लाभकारी अर्जुन की छाल
- मूत्राघात में फायदेमंद अर्जुन
- हड्डी जोड़ने में करे मदद अर्जुन
- अल्सर का घाव करे ठीक अर्जुन की छाल
- सूजन के समस्या में अर्जुन का प्रयोग
- रक्तपित्त (कान-नाक से खून बहना) में फायदेमंद अर्जुन
- बुखार में फायदेमंद अर्जुन
- क्षय रोग या टीबी में फायदेमंद अर्जुन
1. सर्दी-खांसी जैसे संक्रमण में कारगर है
सर्दी-खांसी, जुकाम जैसे संक्रमण से निजात पाने के लिए अर्जुन की छाल का प्रयोग कर सकती हैं। यह कफ के जमाव से राहत प्रदान करता है और फेफड़ों को भी स्वस्थ रखता है। इन समस्याओं से निजात पाने के लिए इसे इस्तेमाल करने का सबसे अच्छा तरीका है काढा। अर्जुन की छाल से बना काढा, तमाम तरह के संक्रमणों से शरीर को प्रोटेक्ट करता है।
2. पाचन शक्ति को बढ़ावा दे
अर्जुन की छाल पाचन क्रिया पर कई सकारात्मक प्रभाव डालती है। इसकी प्रॉपर्टीज कब्ज, डायरिया, गैस्ट्रिक अल्सर के साथ-साथ पाचन संबंधी तमाम अन्य समस्याएं जैसे ब्लोटिंग और गैस में बेहद प्रभावी रूप से कार्य करती हैं। आपको यदि एसिडिटी हो गई है, तो अर्जुन की छाल इसके लक्षण से भी राहत प्रदान कर सकती है। यदि आप भी पाचन संबंधी किसी भी समस्या से परेशान रहती हैं, तो आपको अपने नियमित डाइट में अर्जुन की छाल का पानी या इससे बने काढ़े को शामिल करना चाहिए। बेहतर परिणाम के लिए इनका नियमित सेवन जरूरी है।
3. पिंपल्स को कम करे
आजकल ज्यादातर महिलाएं पिंपल्स और त्वचा संबंधी समस्याओं को लेकर बेहद परेशान रहती हैं, इस स्थिति में अर्जुन की छाल आपकी मदद कर सकती है। इससे बने काढ़े तथा इसके पानी का नियमित सेवन शरीर से टॉक्सिंस को बाहर निकालते हैं, और त्वचा स्वस्थ को बढ़ावा देता है। वहीं यह पाचन क्रिया के लिए भी बेहद कारगर होती हैं, और एक स्वस्थ पाचन क्रिया त्वचा स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
4. डायबिटीज कंट्रोल करे
अर्जुन की छाल में कुछ विशेष प्रकार के एंजाइम मौजूद होते हैं, साथ ही साथ इसकी एंटी डायबिटिक प्रॉपर्टी इसे ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखने के लिए एक बेहद खास आयुर्वेदिक नुस्खा बना देती हैं। यह किडनी और लीवर के काम करने की क्षमता को बढ़ा देता है, जिससे कि ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखना आसान हो जाता है। डायबिटीज के मरीज नियमित रूप से इसका सेवन कर सकते हैं, वहीं यदि आपको डायबिटीज नहीं है, तो भविष्य की संभावित संभावनाओं को रोकने के लिए आप इसे अपने नियमित डाइट का हिस्सा बना सकती हैं।
5. हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा दे
अर्जुन की छाल हृदय संबंधी समस्याओं में बेहद प्रभावी रूप से कार्य करती है। वहीं यदि आप पहले से दिल की मैरिज है, तो यह स्थिति में सुधार करने में भी आपकी मदद कर सकती है। अर्जुन की छाल में ट्राइटरपेनॉइड नामक एक कंपाउंड पाया जाता है, जो इसके हृदय संबंधी बीमारियों से लड़ने की क्षमता को बढ़ावा देते हैं। यह हार्टबीट को भी कंट्रोल रखता है, जिससे की असामान्य रूप से दिल की धड़कन नहीं बढ़ती।
6. पेट की गैस ऊपर आने में करे मदद अर्जुन
अर्जुन की छाल के फायदे एसिडिटी से राहत दिलाने में भी बहुत मददगार होते हैं। अर्जुन की छाल के फायदे का पूरा लाभ उठाने के लिए अर्जुन की छाल का प्रयोग कैसे करें, ये जानना बहुत ज़रूरी है।
10-20 मिली अर्जुन छाल के काढ़े का नियमित सेवन करने से उदावर्त्त या पेट की गैस ऊपर आती है और एसिडिटी से राहत मिलती है।
7. रक्तातिसार या पेचिश से दिलाये राहत अर्जुन
5 ग्राम अर्जुन छाल चूर्ण को 250 मिली गोदुग्ध और लगभग समभाग पानी डालकर मंद आंच पर पकाएं। जब दूध मात्र शेष रह जाए तब उतारकर सुखोष्ण करके उसमें 10 ग्राम मिश्री या शक्कर मिलाकर, नित्य प्रात पीने से हृदय संबंधी विकारों का शमन होता है। यह पेय जीर्ण ज्वरयुक्त रक्तज-अतिसार और रक्तपित्त में भी लाभदायक है।
अर्जुन की पत्ती, बेल की पत्ती, जामुन की पत्ती, मृणाली, कृष्णा, श्रीपर्णी की पत्ती, मेहंदी की पत्ती और धाय की पत्ती, इन सभी पत्तियों के स्वरस में घृत, लवण तथा अम्ल् मिलाकर अलग-अलग मिलाकर खडयूषो का निर्माण करें। ये सभी खडयूष परम् संग्राहिक होते हैं।
8. शुक्रमेह में लाभकारी अर्जुन की छाल
शुक्रमेह बीमारी पुरूषों को होता है। इस रोग में अत्यधिक मात्रा में सिमेन निकल जाता है। अर्जुन की छाल के फायदे का पूरा लाभ पाने के लिए इस तरह से सेवन करने पर शुक्रमेह से निजात पाया जा सकता है। अर्जुन की छाल या सफेद चंदन से बने 10-20 मिली काढ़े को नियमित सुबह शाम पिलाने से शुक्रमेह में लाभ होता है।
9. मूत्राघात में फायदेमंद अर्जुन
मूत्र करते समय दर्द या जलन होना मूत्राघात के मूल लक्षण होते हैं। अर्जुन छाल के फायदे का पूरा लाभ पाने के लिए अर्जुन छाल का काढ़ा बनाकर 20 मिली मात्रा में पिलाने से मूत्राघात में लाभ होता है।
10. हड्डी जोड़ने में करे मदद अर्जुन
अगर किसी कारण हड्डी टूट गई है या हड्डियां कमजोर हो गई हैं तो अर्जुन छाल के फायदे बहुत लाभकारी सिद्ध होते हैं। अर्जुन छाल का प्रयोग करने से हड्डी के दर्द से न सिर्फ आराम मिलता है बल्कि हड्डी जुड़ने में भी सहायता मिलती है।
एक चम्मच अर्जुन छाल चूर्ण को दिन में 3 बार एक कप दूध के साथ कुछ हफ्ते तक सेवन करने से हड्डी मजबूत होती जाती है। भग्न अस्थि या टूटी हुई हड्डी के स्थान पर इसकी छाल को घी में पीसकर लेप करें और पट्टी बाँधकर रखें, इससे भी हड्डी शीघ्र जुड़ जाती है।
अर्जुन की छाल से बने 20-40 मिली क्षीरपाक में 5 ग्राम घी एवं मिश्री मिलाकर पीने से अस्थि भंग (टूटी हड्डी) में लाभ होता है।
11. अल्सर का घाव करे ठीक अर्जुन की छाल
अल्सर या घाव-कभी-कभी अल्सर का घाव सूखने में बहुत देर लगता है या फिर सूखने पर पास ही दूसरा घाव निकल आता है, ऐसे में अर्जुन का सेवन बहुत ही फायदेमंद होता है। अर्जुन छाल को कुटकर काढ़ा बनाकर अल्सर के घाव को धोने से लाभ होता है।
12. सूजन के समस्या में अर्जुन का प्रयोग
-अर्जुन का काढ़ा या अर्जुन की छाल की चाय बनाकर पीने से सूजन कम होता है। (गुर्दों पर इसका प्रभाव मूत्रल अर्थात् अधिक मूत्र लाने वाला है। हृदय रोगों के अतिरिक्त शरीर के विभिन्न अंगों में पानी पड़ जाने और शरीर के किसी अंग में सूजन आ जाने पर भी अर्जुन का प्रयोग किया जा सकता है।)
–अर्जुन के जड़ के छाल का चूर्ण और गंगेरन की जड़ के छाल के चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाकर 2-2 ग्राम की मात्रा में नियमित सुबह शाम दूध के साथ सेवन करने से दर्द तथा सूजन कम होती है।
13. रक्तपित्त (कान-नाक से खून बहना) में फायदेमंद अर्जुन
अगर रक्तपित्त की समस्या से ग्रस्त हैं तो अर्जुन का सेवन करने से जल्दी आराम मिलेगा। 2 चम्मच अर्जुन छाल को रात भर जल में भिगोकर रखें, सबेरे उसको मसल-छानकर या उसको उबालकर काढ़ा बनाकर या अर्जुन की छाल की चाय की तरह से पीने से रक्तपित्त में लाभ होता है।
14. बुखार में फायदेमंद अर्जुन
अगर मौसम के बदलने के वजह से या किसी संक्रमण के कारण बुखार हुआ है तो उसके लक्षणों से राहत दिलाने में अर्जुन बहुत मदद करता है।
अर्जुन छाल का काढ़ा या अर्जुन की छाल की चाय बनाकर 20 मिली मात्रा में पिलाने से बुखार से राहत मिलती है।
1 चम्मच अर्जुन छाल चूर्ण को गुड़ के साथ सेवन करने से बुखार का कष्ट कम होता है।
2 ग्राम अर्जुन छाल के चूर्ण में समान मात्रा में चंदन मिलाकर, शर्करा-युक्त तण्डुलोदक (चीनी और चावल से बना लड्डू) के साथ सेवन करने से अथवा अर्जुन छाल से बना हिम, काढ़ा, पेस्ट या रस का सेवन करने से रक्तपित्त में लाभ होता है।
15. क्षय रोग या टीबी में फायदेमंद अर्जुन
क्षय रोग या तपेदिक के लक्षणों से आराम दिलाने में अर्जुन का औषधीय गुण काम करता है। अर्जुन की त्वचा, नागबला तथा केवाँच बीज चूर्ण (2-4 ग्राम) में मधु, घी तथा मिश्री मिलाकर दूध के साथ पीने से क्षय, खांसी रोगों से जल्दी राहत मिलती है।