आयुर्वेद में ऐसी बहुत सी जड़ी-बूटियों का वर्णन है जो हमें अंदर से सुरक्षित रखने में मददगार हैं। ये जड़ी-बूटियां हमारे शरीर को भीतर से साफ करती हैं, सभी अंदरूनी सिस्टम दुरुस्त करती हैं और हमें एक स्वस्थ जीवन जीने में मदद करती हैं। ऐसी ही एक औषधि है कचनार गुग्गुल जो कचनार की छाल और कुछ जड़ी-बूटियों को मिलाकर बनायी जाती है।
कचनार गुग्गुल एक ऐसी आयुर्वेदिक औषधि है जो हार्मोनल असंतुलन को ठीक करने में मददगार है। इसका इस्तेमाल हाइपोायरायडिज्म, हार्मोनल असंतुलन, पीसीओएस और जोड़ों के दर्द के इलाज में किया जाता है। गुगगुल शब्द संस्कृत के गुग्लू शब्द से बना है जिसका अर्थ होता है बीमारियों से बचाव। ये शरीर केलिम्फैटिक सिस्टम को बेहतर करता है और शरीर से टॉक्सीन निकालने में भी मदद करता है।
आयुर्वेद में कचनार गूग्गुल कई औषधियों से मिलकर बनता है। यह कचनार की छाल, अदरक, काली मिर्च, पीपली, हरिटकी, बिभिटकी, अमलाकी (त्रिफला), वरुणा छाल, इलायची, गुग्गल गोंद को समान मात्रा में मिला कर बनता है। ये सभी वस्तुएं हमारे शरीर के लिए वरदान हैं और कई तरह की बीमारियों से रक्षा और उनके इलाज में इस्तेमाल की जाती हैं।
कचनार गुग्गुल के फायदे
- शरीर को करे डीटॉक्सिफाई
- ब्लड को करे प्यूरीफाय
- वजन घटाने में मददगार
- लाइपोमा का इलाज
- लिम्फ नोड की सूजन में आराम
- थायरॉयड के इलाज में
- पीसीओएस का इलाज
1. शरीर को करे डीटॉक्सिफाई
यह शरीर को डीटॉक्सीफाई करता है और टॉक्सीन को बाहर निकालता है। कचनार गूग्गुल हमारे टिशू से टॉक्सीन को बाहर निकाल कर शरीर को पोषण देता है। इससे शरीर की डेड सेल्स बाहर निकलती हैं और पुरानी सेल्स को नया जीवन मिलता है। यह पाचन बढ़ाने में भी सहायक होता है और पोषक तत्वों के एब्जॉर्बशन में मदद करता है। शरीर से जब हानिकारक टॉक्सिन्स बाहर निकल जाते हैं तो हमारी कोशिकाएं और तंत्र स्वस्थ्य होते हैं और उनमें नए जीवन का संचार होता है।
2. ब्लड को करे प्यूरीफाय
गुग्गुल नाम का पदार्थ इस पूरी औषधि के कॉम्बिनेशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। गुग्गुल एक बेहद प्राचीन भारतीय पदार्थ है और इसका मुख्य काम है हमारे शरीर में जाकर ब्लड को प्यूरीफाय करना। ये पदार्थ गुग्गुल पेड़ के गोंद से बनता है। इसमें मौजूद तरह तरह के स्टेरॉयड कोलेस्ट्रॉल कम करने, खून को साफ करने और खून के बहाव को बेहतर करने में सहायक होते हैं। गुग्गुल खून के गाढ़ेपन को कम करने में मददगार होता है जिससे रक्तसंचार बेहतर होता है।
3. वजन घटाने में मददगार
आज के दौर में हममें से अधिकतर लोग मोटापे की समस्या से जूझ रहे हैं। मोटापा अपने आप में कोई बीमाती नहीं है लेकिन ये बहुत सी अन्य बीमारियों की वजह बनता है। ऐसे में हम किसी न किसी तरह से इसे घटाने और खुद को फिट बनाने की कोशिश करते हैं।
कचनार गुग्गुल कफ को संतुलित करता है। इसका कड़वा और तीखा स्वाद पेट के आस-पास की चर्बी और मोटापे को कम करने में मदद करता है। गुग्गुल हमारे पाचन तंत्र को सुधारने के साथ साथ मेटाबॉलिज्म को भी सुधारता है। इसे हमारा फैट जल्दी बर्न होता है और शरीर के बाकी हिस्सों से भी एक्स्ट्रा फैट कम होता है।
4. लाइपोमा का इलाज
आपने अपने अस-पास ऐसे कई लोग देखे होंगे जिन्हें शरीद पर गांठों की समस्या होती है। इस समस्या को लाइपोमा कहा जाता है। कचनार गुग्गुल लाइपोमा की जानी हुई औषधि है। इसका इस्तेमाल स्किन पर नजर आने वाली गांठ यानि लाइपोमा के इलाज के लिए किया जाता है।
5. लिम्फ नोड की सूजन में आराम
कचनार गूग्गुल लिम्फ नोड की सूजन के लिए एक कारगर औषधि है। खासकर इसका इस्तेमाल लिम्फैटिक सिस्टम में मौजूद नोड्स के बैक्टीरिया या वायरस के कारण सूज कर बड़े हो जाने पर किया जाता है। ये सूजन अकसर गर्दन, कांख या पैरों के बीच पाई जाती है। ऐसे में कचनार गुग्गुल के एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटी वायरल और एंटीबैक्टीरियल गुण काम आते हैं। इसके इस्तेमाल से लिम्फैटिक सिस्टम की नोड्स में आयी सूजन को आराम मिलता है।
6. थायरॉयड के इलाज में
थायरॉइड की समस्या आज बेहद आम हो गयी है। इसकी वजह थायरॉइड गांठ का बढ़ना और हॉर्मोन्स का बैलेंस बिगड़ना होता है। कचनार गूग्गुल थायरॉयड के लिए एक अचूक आयुर्वेदिक दवा है। ये थायरॉयड ग्लैंड और थायरॉयड हार्मोंन दोनों को ही स्वस्थ रखता है। यह गोइटर यानि घेंघे की सूजन, ग्लैंड के स्वास्थ्य और हार्मोंन के संतुलन के लिए फायदेमंद है।
7. पीसीओएस का इलाज
आज के दौर में PCOS एक बेहद आम अवस्था बन गयी है। इसकी वजह महिलाओं की ओवरी में बनने वाली छोटी छोटी गांठें होती हैं। पीसीओएस या पोलाइसिस्टिक ओवारियन सिंड्रोम आजकल पहले से अधिक सामान्य हो गया है। यह हार्मोनल असंतुलन से जुड़ा पाया जाता है। इसके कारण अक्सर पीरियड्स की साइकल अनियमित हो जाती है। कचनार गुग्गुल हार्मोनल संतुलन बनाने और साइकिल को नियमित रखने में मदद करता है। PCOD की समस्या से जूझ रही महिलाओं को आयुर्वेदिक डॉक्टर की मदद से इसका इलाज मिल सकता है