महिलाओं के मन में यह जानने की इच्छा रहती है की गर्भावस्था के लक्षण कब और कितने दिन में दिखाई देने लग जाते है। वैसे तो ओवुलेशन के बाद प्रेगनेंसी के सिम्पटम्स दिखना शुरू हो जाते है पर कुछ महिलाओं के लिए इन्हें पहचान पाना मुश्किल होता है। लेकिन इसका मुख्य लक्षणों से पता लगाया जा सकता है।
अंडा फटने के बाद गर्भावस्था के लक्षण? – Pregnancy Symptoms After Ovulation in Hindi
अंडा फटने के बाद कुछ संकेत मिलते है जो यह बताते है की आप प्रेग्नेंट है। जानते है अंडा फटने के बाद गर्भावस्था के लक्षण क्या है।
1) थकान –
गर्भवती होने के संकेत के शुरुआती लक्षणों में से एक है थकान। इस दौरान आपको बहुत थकान महसूस होगी। आप थोड़े से में ही खुद को थका हुआ महसूस करेंगी। इसकी वजह यह है की प्रेग्नेंट महिला के शरीर के अंगो में दर्द बना रहता है जिससे वह थकी हुई रहती है।
2) पेशाब के रंग में बदलाव –
महिला के गर्भधारण करने पर पेशाब के रंग में परिवर्तन आ जाता है। पेशाब का रंग पीला होने लगता है। इस परिवर्तन का कारण यह है की प्रेगनेंट महिला की किडनी अच्छी तरह से पेशाब फ़िल्टर नहीं कर पाती जिसकी वजह से ऐसा होता है।
3) सर्विकल म्यूकस में परिवर्तन –
ठीक ओवुलेशन से पहले सर्विकल म्यूकस में बदलाव होने लगता है। ओवुलेशन का समय करीब आने पर सर्विकल म्यूकस की मात्रा में वृद्धि होने लगती है। ओवुलेशन से बिल्कुल पहले के दिनों में ऑस्ट्रोजन में बढ़ोतरी होने के कारण सर्विकल म्यूकस अधिक मात्रा में बनने लगता है।
ठीक अंडोत्सर्ग से पूर्व सर्विकल म्यूकस में होने वाला बदलाव, ज्यादातर महिलाओं में पैदा होने वाले सभी अंडोत्सर्ग लक्षणों में सबसे स्थिर और भरोसेमंद माना जाता है।
अंडोत्सर्ग के निकट आने पर सर्विकल म्यूकस की मात्रा बढ़ने लगती है। मासिक के ठीक बाद, सर्विकल म्यूकस कम हो सकता है, पर आने वाले दिनों में उसकी मात्रा धीरे-धीरे बढ़ेगी। सबसे पहले इसमें एक हल्का चिपचिपा पदार्थ आएगा और इसका रंग सफेद और धुंधला होता है।
अंडोत्सर्ग से ठीक पहले के दिनों में, ऑस्ट्रोजन में वृद्धि होने से अधिक सर्विकल म्यूकस का निर्माण होता है। इस अवस्था में म्यूकस काफी साफ दिखता है और इसकी बनावट फिसलन वाली और लचीली होती है – कई बार इसे कच्चे अंडे का सफेद रंग और घनापन से तुलना की जाती है।
अंडोत्सर्ग से पूर्व और उसके दौरान निर्मित सर्विकल म्यूकस की ऐसी संरचना होती है कि यह सर्विक्स और फ़ैलोपियन नली में शुक्राणु को स्वतंत्रतापूर्वक घूमनेकी अनुमति दे सके और अंडे के निकलने तक इसे जीवित रखने में मदद करे।
4) स्तनों में बदलाव आना –
स्तनों के आकार में वृद्धि होने लगती है और स्तन भी कोमल महसूस होते है। स्तनों में प्रोजेस्ट्रोन हॉर्मोन की मात्रा बढ़ जाती है। जिसके कारण सूजन भी आने लगती है। छूने पर दर्द महसूस होता है और भारीपन सा लगता है। निप्पल के आसपास का रंग बदलने लगता है।
अंडोत्सर्ग के इस लक्षण को कुछ ही महिलाएँ अनुभव कर पाती हैं और इसे प्रायः उच्च ऑस्ट्रोजन स्तरों का एक साइड-इफ़ेक्ट माना जाता है। जो महिलाएँ स्तन की कोमलता का अनुभव कर पाती है, वे पाएंगी कि ऐसा हर माह एक ही तरीके से होता है।
ऑस्ट्रोजन के प्रभाव अंडोत्सर्ग के बाद काफी हद तक चले जाते हैं। वे माहवारी से पहले फिर उत्पन्न हो सकते हैं।
यदि आप मध्य-चक्र में स्तन में कोमलता का अनुभव करती हैं, तो इसे आप अंडोत्सर्ग का लक्षण समझ सकती हैं, आप इसके होने का समय और किस हद तक हुआ, उसे नोट कर सकती हैं; ताकि आप अपनी सबसे फ़र्टाइल अवधि की पहचान में मदद के लिए कई अन्य अंडोत्सर्ग लक्षणों के साथ इसका भी आकलन कर सकें।
5) स्वाद और गंध का बोध होना –
बहुत सी महिलाओं में ओवुलेशन के बाद विभिन्न तरह की गंध का अनुभव होता है और स्वाद का भी तीव्र बोध होता है। इसका कारण है ऑस्ट्रोजन का बढ़ा हुआ स्तर।
कुछ महिलाएं बताती हैं कि उन्हें अंडोत्सर्ग के समय विभिन्न प्रकार के गंधों और स्वादों का अधिक तीव्र अनुभव होता है।
यह ऑस्ट्रोजन के बढ़े हुए स्तरों से जुड़ा अंडोत्सर्ग लक्षण होता है जोपहले कहा जा चुका है।
जब अंडोत्सर्ग के समय अंडाणु निकलता है और ऑस्ट्रोजन का स्तर गिरता है, यह लक्षण प्रायः गायब हो जाता है।
6) चक्कर आने लगते है –
जब महिला गर्भवती होती है तो उनके शरीर में हार्मोनल बदलाव आने लगते है। इसके कारण भी महिलाओं को चक्कर आते है। अगर आपको भी चक्कर जैसा लगता है तो प्रेग्नेंसी टेस्ट करवाएं।
7) पेट में मरोड़ आना –
ओवुलेशन के समय महिलाओं को पेट में हल्के मरोड़ या ऐंठन होने लगती है। यह कुछ मिनटों तक या कुछ घंटो तक भी हो सकती है। यह पेट के निचे दाएँ ओर ज्यादा होती है तो कुछ महिलाओं में यह पेट के दोनों ओर भी होता है।
एक अनुमान के मुताबिक लगभग 20% महिलाएँ अंडोत्सर्ग के समय पेट में हल्के मरोड़ या ऐंठन का अनुभव करती हैं।
इस अंडोत्सर्ग लक्षण का चिकित्सीय नाम मिटेश्चमर्ज है, जो एक जर्मन मुहावरा है, जिसका अर्थ होता है ‘मध्यम पीड़ा’।
यह पीड़ा कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटों तक हो सकती है और यह निचले पेट के दाएँ ओर अधिक पाई जाती है। हालांकि कुछ महिलाएँ पेट के दोनों ओर दर्द का अनुभव करती हैं, तो कुछ महिलाएँ बताती हैं कि हर माह दर्द एक ओर से दूसरी ओर खिसकता रहता है।
- अंडोत्सर्ग के मिटेश्चमर्ज लक्ष्ण के लिए कई संभावित व्याख्याओं में शामिल हैं:
- अंडोत्सर्ग से पूर्व अंडाशय में फ़ॉलिकल की वृद्धि
- अंडोत्सर्ग के समय हर महीने टूटने वाली अंडाशयी दीवार
- अंडोत्सर्ग के बाद फ़ैलोपियन नली और अंडाशयों में होने वाली
8) मॉर्निंग सिकनेस –
प्रेग्नेंसी के शुरूआती दिनों में मॉर्निंग सिकनेस होती है और मतली भी आने लगती है। यह सिर्फ सुबह ही नहीं होती बल्कि दिन में कभी भी हो सकती है या पूरे दिन भी रह सकती है।
9) कब्ज और गैस –
ओवुलेशन के लक्षण यानि अंडा फटने के बाद गर्भवती महिला को गैस और कब्ज का भी सामना करना पड़ता है, लेकिन इस समस्या को ठीक करने के लिए आप डॉक्टर की सलाह के बिना कुछ भी ना खाएं। बल्कि डॉक्टर से परामर्श लें।
10) शरीर का तापमान बढ़ना –
ओवुलेशन के बाद तापमान में वृद्धि होने लगती है। इसका कारण है शरीर में प्रॉजेस्टरोन हॉर्मोन के स्तरों में वृद्धि होना। तापमान जरूर मापे इसके लिए सुबह उठते ही मापना अच्छा समय होता है।
अंडोत्सर्ग के ठीक बाद, शरीर में प्रॉजेस्टरोन हॉर्मोन के स्तरों में वृद्धि होना लगभग अंडोत्सर्ग तापमान के सामान्य लक्षण होता है।
इस समय, ज्यादातर महिलाएँ विराम अवस्था में अपने शरीर में लगभग 0.5 डिग्री सेल्सियस के लगभग तापमान वृद्धि अनुभव करती हैं और उनका यह तापमान महीने के शेष हिस्से में भी इसी स्तर पर रहेगा।
बुनियादी शरीर का तापमान का मापन सबसे अच्छी तरह से सुबह बिस्तर छोड़ने से पहले एक सटीक थर्मामीटर का उपयोग करके और प्रत्येक दिन एक चार्ट पर अपना तापमान रिकॉर्ड करें ।
11) सिरदर्द –
महिलाओं के सिर में दर्द बना रहता है। यह प्रेगनेंसी के शुरुआती दिनो में ज्यादा होता है। प्रेग्नेंसी के समय शरीर में रक्त के स्तर में वृद्धि होने लगती है इस कारण सिरदर्द होता है।
12) खाने की लालसा बढ़ना –
गर्भवती महिलाओं को खाने की बहुत लालसा होने लगती है। जिसमें महिलाओं के मन में कुछ ना कुछ खाने का विचार चलता रहता है और अलग – अलग तरह की चीजें खाने का मन होता है। जिससे महिलाओं की डाइट भी प्रेग्नेंसी के दौरान बढ़ जाती है। गर्भवती महिलाओं को बाहर का खाने से बचना चाहिए ख़ास कर जंक फ़ूड।
13) पीरियड्स ना आना –
महिलाओं को हर महीने पीरियड्स आते है लेकिन पीरियड्स नहीं आने पर गर्भवती होने की संभावना ज्यादा रहती है। पीरियड्स नहीं आने को प्रेगनेंसी का सबसे मुख्य लक्षण मानते है। इसलिए आपको ध्यान रखना होगा की आपके पीरियड्स मिस कब हुए है।
14) बार बार पेशाब आना –
गर्भावस्था में हार्मोन की प्रतिक्रिया के कारण गर्भाशय की सूजन से मूत्राशय पर हल्का दबाव पैदा होता है जिससे बार बार पेशाब आती है।
15) कमर में दर्द होना –
प्रेग्नेंट होने पर कमर के अस्थि बंध खुल जाते है जिसके कारण कमर दर्द होने लगता है। अगर आपको सामान्य दिनों में कमर दर्द नहीं होती तो इस पर ध्यान दे।
16) यौन क्रिया की इच्छा –
अंडा फटने के बाद गर्भावस्था होने पर महिलाओं में यौन क्रिया की इच्छा बढ़ जाती है।
कई महिलाएँ इस अंडोत्सर्ग लक्षण से हैरान नहीं होंगी – और वाकई यह जैविक रूप से अच्छी बात होती है।
अंडोत्सर्ग प्रारंभ करने में कुछ हॉर्मोनों में वृद्धि होने से महिलाओं में सामान्य से अधिक यौन इच्छा जगती है।
महिलाओं में ऐसी इच्छा को प्रभावित करने वाले हॉर्मोनों में शामिल होते हैं- ऑस्ट्रोजन, टेस्टोस्टरोन और ल्युटिनाइजिंग हॉर्मोन।
अंडोत्सर्ग से पूर्व लक्षण आपकी यौन इच्छा में वृद्धि होने की घटना आपके लिए अच्छी बात है, क्योंकि अंडोत्सर्ग से चार-पाँच दिन पहले, बार-बार यौन संबंध बनाने से आपमें गर्भवती होने की संभावना बढ़ जाती है।
ऐसे कई वास्तविक विवरण हैं जिनमें महिलाएं मानती हैं कि वे अंडोत्सर्ग वाली अवधि में अधिक आकर्षक दिखती हैं; ऑस्ट्रोजन ऐसे कई साइड-इफ़ेक्ट पैदा कर सकता है, जिससे ऐसे लक्षण उभरते हैं, साथ ही महिलाओं की त्वचा में तेल का निर्माण भी कम हो जाता है, जिससे उनके चेहरे पर मुंहासे कमी आती है।
17) मूड बदलना –
अचानक मूड में परिवर्तन आना भी प्रेग्नेंसी के लक्षण है। अगर कोई चीज आपको अच्छी लग रही है और थोड़ी देर बाद आप उसे नापसंद कर रहे है। इस तरह आपके मूड में बदलाव आ रहा है तो यह भी प्रेग्नेंसी का लक्षण है।
18) उल्टी आना –
ओवुलेशन के बाद यदि आपको उल्टी आ रही है तो यह गर्भावस्था के लक्षण में आता है।
19) मासिक धर्म के लक्षण महसूस होना –
ओवुलेशन के बाद गर्भावस्था के शुरू में मासिक धर्म के लक्षण महसूस होते है जैसे – शरीर में दर्द, पेट में ऐंठन आदि।