नवजात शिशुओं को अक्सर 6 महीने का होने के बाद ही ठोस आहार खिलाने की सलाह दी जाती है। लेकिन कई दादी-नानी बच्चों को 4 महीने की उम्र से ही दाल का पानी या फल, चावल को अच्छे से मसलकर उन्हें खिलाना शुरू कर देते हैं।
उनके अनुसार बच्चे के विकास के लिए कम उम्र से ही उन्हें ठोस पदार्थ खिलाना शुरू कर देना चाहिए। जबकि डॉक्टर्स शिशुओं को कम से कम 6 महीने तक सिर्फ मां का दूध पीने की सालह ही देते हैं।
ऐसे में माता-पिता अक्सर कंफ्यूज हो जाते हैं कि शिशुओं को किस उम्र से ठोस आहार देना शुरू करना चाहिए और क्यों? तो आइए जानते दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में पीडियाट्रिशन डॉ. माधवी भारद्वाज से जानते हैं बच्चों को 6 महीने की उम्र से पहले ठोस आहार देने से क्या होता है।
6 महीने से कम उम्र के शिशुओं को ठोस आहार क्यों नहीं खिलाना चाहिए? – Why Should Babies Under 6 Months Not Be Fed Solid Food in Hindi?
6 महीने से कम उम्र के शिशुओं को डॉक्टर ठोस आहार खिलाने से बचने की सलाह देते हैं, क्योंकि ज्यादा छोटे बच्चों को ठोस आहार खिलाने से उनकी सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। 6 महीने से कम उम्र के शिशुओं का पाचन तंत्र पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता है, जिससे उनके लिए ठोस खाद्य पदार्थों को ठीक से डायजेस्ट करना मुश्किल हो जाता है।
जिसके कारण उन्हें कब्ज या दस्त जैसी पाचन से जुड़ी स्वास्थ्य समस्या हो सकती है। 6 महीने तक शिशु को ठोस आहार देने से बच्चों को एलर्जी का खतरा भी बढ़ सकता है, क्योंकि शिशुओं की इम्यूनिटी अभी भी विकसित हो रही होती है।
कई खाद्य पदार्थ ऐसे होते हैं, जो शिशुओं के इम्यूनिटी पर नकारात्मक असर डाल सकते हैं। इसके अलावा शिशुओं को बहुत जल्द ठोस आहार खिलाने से स्तनपान या फार्मूला फीडिंग में समस्या आ सकती है, जो शिशुओं में पोषक तत्वों की कमी पूरी करने के लिए जरूरी है।
6 महीने तक सिर्फ मां का दूध पीने से बच्चे की इम्यूनिटी मजबूत रहती हैं और वे स्वस्थ रहते है, इसलिए डॉक्टर शिशुओं को 6 महीने का होने के बाद ही ठोस पदार्थ खिलाने की सलाह देते हैं।
शिशुओं को कब और कैसे खिलाएं ठोस आहार? – When And How To Feed Solid Food To Babies in Hindi?
शिशुओं के 6 महीने पूरी होने के बाद ही उन्हें ठोस आहार खिलाने चाहिए। शिशुओं की डाइट में ठोस आहार के रूप में आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करना सबसे अच्छा माना जाता है। आप अपने शिशु को आयरन-फोर्टिफाइड अनाज, जैसे- चावल, जई, या जौ खिला सकते हैं और सेब, नाशपाती या केला जैसे फल उनकी डाइट में शामिल कर सकते हैं।
ये खाद्य पदार्थ पचाने में आसान होते हैं और इनसे एलर्जी होने की संभावना भी कम होती है। शिशुओं को ये खाद्य पदार्थ खिलाने के लिए छोटी मात्रा से शुरू करें और धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाएं। बच्चे पर निगरानी बनाए रखें करें ताकि किसी भी एलर्जी के लक्षणों को पहचाना जा सकें।